
बांग्लादेश ने भारत के साथ 180.25 करोड़ रुपये का रक्षा अनुबंध किया रद्द, भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच बड़ा फैसला.
नई दिल्ली/ढाका: भारत और बांग्लादेश के बीच हालिया कूटनीतिक तनाव के बीच एक बड़ा झटका सामने आया है। कोलकाता स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की शिपबिल्डिंग कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) के साथ बांग्लादेश सरकार ने 180.25 करोड़ रुपये का रक्षा अनुबंध रद्द कर दिया है।
GRSE, जो भारत के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत है, ने बुधवार को शेयर बाजार को सूचित करते हुए कहा, “हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि बांग्लादेश पीपुल्स रिपब्लिक की सरकार ने हमारे साथ किया गया आदेश रद्द कर दिया है।”
यह अनुबंध बांग्लादेश के लिए एक उन्नत महासागरीय टग (Advanced Ocean-Going Tug) के निर्माण हेतु दिया गया था। इस प्रकार के जहाज़ विशेष रूप से समुद्र में दूर तक खींचने और बचाव अभियानों के लिए बनाए जाते हैं।
भारत-बांग्लादेश रिश्तों में दरार
यह रक्षा सौदा ऐसे समय में रद्द किया गया है जब भारत और बांग्लादेश के संबंधों में लगातार खटास आ रही है। खासकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस की चीन के प्रति बढ़ती नजदीकियां और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनातनी देखने को मिल रही है।
यूनुस ने हाल ही में चीन की यात्रा के दौरान पूर्वोत्तर भारत को “लैंडलॉक्ड” क्षेत्र बताया था और यह भी कहा कि “हिंद महासागर क्षेत्र में ढाका ही एकमात्र रक्षक है।” उनके इन बयानों को भारत में बेहद आपत्तिजनक माना गया है।
भारत की प्रतिक्रिया और संभावित जवाबी कार्रवाई
बताया जा रहा है कि भारत द्वारा बांग्लादेश को तीसरे देशों को निर्यात के लिए दी जा रही ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस लेने की घोषणा के बाद यह रद्दीकरण सामने आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बांग्लादेश की ओर से एक प्रतिशोधात्मक कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
रक्षा और कूटनीति विशेषज्ञों के अनुसार, यह घटना केवल एक व्यापारिक निर्णय नहीं है, बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापक कूटनीतिक खिंचाव का संकेत देती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक संतुलन पर भी असर डाल सकती है।
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